राजकुमारी और पारियों की कहानी

राजकुमारी और पारियों की कहानी

राजकुमारी और पारियों की कहानी

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बहुत समय पहले की बात है, एक सुंदर राज्य में अनाया नाम की एक राजकुमारी रहती थी। अनाया की सुंदरता, दयालुता, और बुद्धिमानी के चर्चे दूर-दूर तक फैले हुए थे। लेकिन अनाया के जीवन में एक अधूरी चाह थी। वह अक्सर सुनती थी कि जंगल के पार एक जादुई भूमि है, जहाँ परियाँ रहती हैं। बचपन से ही उसने परियों के बारे में कहानियाँ सुनी थीं और वह हमेशा उनसे मिलने का सपना देखा करती थी।

राजा और रानी ने अनाया को इस जादुई भूमि में जाने से मना किया था क्योंकि वहाँ जाने का रास्ता कठिन और खतरों से भरा हुआ था। लेकिन अनाया का दिल उसे वहाँ जाने के लिए उकसाता रहा। एक दिन उसने तय किया कि वह परियों से मिलने के लिए खुद उस जादुई भूमि की यात्रा करेगी। उसने रात के समय अपने महल से चुपचाप निकलने का फैसला किया।

राजकुमारी अनाया की यात्रा
रात को चुपके से महल से निकलकर अनाया जंगल की ओर चल पड़ी। उसने सिर्फ अपनी छोटी सी मशाल और थोड़े से खाने का सामान अपने साथ लिया। जंगल घना था, और चारों ओर रहस्यमयी सन्नाटा था, लेकिन अनाया का दिल मजबूत था। वह लगातार आगे बढ़ती रही, अपनी मंज़िल की ओर।

कुछ घंटे चलने के बाद उसे एक बड़ी झील मिली। झील का पानी दूधिया रंग का था और उस पर चांद की परछाई ऐसे तैर रही थी, मानो उसे रास्ता दिखा रही हो। झील के पार पहुँचते ही उसने एक हल्की सी रोशनी देखी। वह जान गई कि वह परियों के राज्य के करीब है। उसने अपना सफर जारी रखा, और जैसे-जैसे वह आगे बढ़ी, उसे चारों ओर फूलों की खुशबू महसूस होने लगी।

परियों से पहली मुलाकात
अचानक अनाया के सामने एक तेज़ चमक दिखाई दी। उस रोशनी से धीरे-धीरे परियाँ प्रकट होने लगीं। हर परी की पंखों से रंग-बिरंगी रोशनी निकल रही थी। उन परियों में सबसे बड़ी परी का नाम रैना था। रैना ने अपनी मीठी आवाज़ में अनाया से पूछा, “ओ राजकुमारी, तुम इतनी दूर हमारे पास क्यों आई हो?”

अनाया ने अपनी खुशी और उत्तेजना को छुपाते हुए कहा, “मुझे बचपन से आप परियों से मिलने का सपना था। मैंने सुना था कि आप में जादू है, और मैं उस जादू को महसूस करना चाहती थी।”

परी रैना ने मुस्कुराते हुए कहा, “हर इंसान के दिल में एक जादू होता है। असली जादू तुममें ही है, अनाया। लेकिन अगर तुम चाहो, तो हम तुम्हें अपनी जादुई दुनिया की सैर करवा सकते हैं।”

अनाया खुशी से झूम उठी और परी रैना ने उसे अपने जादू से एक जादुई फूल का हार पहनाया। हार पहनते ही अनाया के शरीर में एक हल्की सी चमक आई और वह खुद को हवा में तैरते हुए महसूस करने लगी। परियाँ उसे अपने साथ एक जादुई भूमि में ले गईं, जहाँ फूल खिलखिला रहे थे, पेड़ गुनगुना रहे थे और चारों ओर संगीत की धुन बिखरी हुई थी।

जादुई भूमि का अनुभव
उस जादुई भूमि में अनोखे जीव और पौधे थे। वहाँ का हर फूल एक अलग खुशबू बिखेरता था और वहाँ की नदियाँ गीत गाती थीं। परियाँ अनाया को हर जगह घुमाने लगीं। उन्होंने उसे एक विशेष पेड़ के पास ले जाकर बताया कि यह पेड़ हर उस इच्छा को पूरा करता है, जो दिल से मांगी जाती है, लेकिन इच्छा नेक और किसी की भलाई के लिए होनी चाहिए।

अनाया ने उस पेड़ के सामने खड़े होकर मन ही मन एक इच्छा मांगी, "काश मेरे राज्य में हमेशा शांति और खुशहाली बनी रहे।" उसकी इस नेक इच्छा को सुनकर पेड़ की शाखाएँ हिलने लगीं और एक सुनहरी चमक से पूरी जादुई भूमि रौशन हो गई।

विदाई का समय
अब अनाया को घर लौटने का समय आ गया था। परी रैना ने उसे एक छोटा सा चमकता हुआ तारा दिया और कहा, “यह तारा तुम्हारे पास हमारी निशानी के रूप में रहेगा। जब भी तुम्हें हमारी जरूरत महसूस हो, इस तारे को देखना। हम हमेशा तुम्हारे साथ हैं।”

अनाया ने परी रैना और बाकी परियों का धन्यवाद किया और उनकी जादुई भूमि से लौटने लगी। उसने इस यात्रा को अपने दिल में बसाए रखा और अपने राज्य में लौटकर अपनी प्रजा के लिए हमेशा भलाई के कार्य करने का प्रण लिया।

राजकुमारी और परियों की कहानी की शिक्षा
यह राजकुमारी और परियों की कहानी हमें सिखाती है कि सच्चा जादू किसी बाहरी दुनिया में नहीं, बल्कि हमारे अपने दिल में होता है। नेक इरादे और भलाई की भावना ही सबसे बड़ा जादू है। राजकुमारी अनाया की तरह हमें भी अपने दिल की अच्छाई पर विश्वास रखना चाहिए और दूसरों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए।

राजकुमारी अनाया की यह कहानी अब भी उस राज्य में बच्चों को सुनाई जाती है ताकि वे सच्चाई, दयालुता, और निष्ठा की शक्ति को समझें।

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